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Udaya Ravi Sahasra Dyotitam

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Udaya Ravi Sahasra Dyotitam
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Krsna Kirtana Songs est. 2001                                                                                                                                                 www.kksongs.org

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Song Name: Udaya Ravi Sahasra Dyotitam

Official Name: Nrsimha Stuti

Author: Trivikramacarya

Book Name: None

Language: Sanskrit

LYRICS:

(१)

उदयरविसहस्रद्योतितम्रुक्षवीक्षं

प्रलयजलधिनादं कल्पकृद्वह्निवक्त्रम्

सुरपतिरिपुवक्षःक्षोदरक्तक्षिताङ्गं

प्रणतभयहरं तं नृसिंहं नमामि

(२)

प्रलयरविकरालाकाररुक्चक्रवालं

विरलयदुरुरोचीरोचिताशान्तरालम्

प्रतिभयतमकोपात्युत्कतोच्चाट्टहासिन्

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(३)

सरसरभसपादापातभाराभिराव

प्रचकितचलसप्तद्वन्द्वलोकस्तुतस्त्वम्

रिपुरुधिरनिषेकेणेव शोनाङ्घ्रिशालिन्

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(४)

तव घनघनघोषो घोरमाघ्रय जङ्घा

परिघमलघुमूरुव्याजतेजोगिरिं च

घनविघटितमागादैत्यजङ्घालसङ्घो

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(५)

कटकिकटकरालधाटकाग्र्यस्थलाभा

प्रकटपटतडित्ते सत्कतिष्ठातिपट्वी

कटुक कटुक दुष्टाटोपदृष्टिप्रमुष्टौ

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(६)

प्रखरनखरवज्रोत्खातरूक्षारिवक्षः

शिखरिशिखर रक्तै राक्त नन्दोहदेह

सुवलिभशुभकुक्षे भद्र गम्भीरनाभे

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(७)

स्फुरयति तव साक्षात्सैव नक्षत्रमाला

क्षपितदितिजवक्षोव्याप्तनक्षत्रमार्ग

अरिदरधरजान्वासक्तहस्तद्वयाहो

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(८)

कटुविकटसटौधोधट्टनाद्भ्रष्टभूयो

घनपटलविशलाकाशलब्धावकाशम्

करपरिघविमर्दप्रोद्यमं ध्ययतस्ते

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(९)

हटलुटदलघिष्ठोत्कण्ठदष्टोऽष्टविद्युत्

सटशतकटिनोरःपीठभित्सुष्टु निष्ठाम्

पटति नु तव कण्ठाधिष्ठघोरान्त्रमाला

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(१०)

हतबहुमिहिराभास ह्यसंहाररंहो

हुतवहबहुहेतिर्ह्रेपिकानन्तहेतिः

आहतविहितमोहं संविहन्सै हमास्यं

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(११)

गुरुगुरुगिरिराजत्कन्दारान्तर्गदेवा

दिनमणिमणिशृङ्गेवान्तवह्निप्रदीप्ते

दधदतिकटुदंष्ट्रे भीषणोज्जिह्ववक्त्रं

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(१२)

अधरितविबुधाब्धिध्यानधैर्य विदीध्यद्

विविधविबुधधी श्रद्धापितेन्द्रारिनाशम्

विदधदतिकटाहोद्धाटनोद्धाट्टहासं

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(१३)

त्रिभुवनतृणमात्रत्राणतृष्णार्द्रनेत्र

त्रयमतिलघितार्चिर्विष्टपाविष्टपादम्

नवतररविताम्रं धारयन्रूक्षवीक्षं

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(१४)

भ्रमदभिभवभूभृद्भूरिभूभारसद्भिद्

भिदनवविभवभ्रूविभ्रमादभ्रशुभ्र

रिपुभवभयमेतर्भासि भो भो विभोऽभीर्

दह दह नृसिंआसह्य वीर्यहितं मे

(१५)

श्रवणखचितचञ्चत्कुण्डलोच्चण्डगण्ड

भ्रुकुटि कटु ललाटश्रेष्ठनासारुणोष्ट

वरद सुरद राजत्केसरोत्सारितारे

दह दह नृसिंआसह्य वीर्याहितं मे

(१६)

प्रविकवचकचराजद्रत्न कोटीरशालिन्

गलगत गलदुस्रादाररत्नङ्गदढ्य

कनककटककाञ्ची सिञ्जिनी मुद्रिकवन्

दह दह नृसिंहासह्य वीर्याहितं मे

(१७)

अरिदरमसि हेतौ चापबाणौ गदां सन्

मुषलमपि कपोलं चाङ्कुशं पाशशूलम्

दधदपि विधुतान्त्रस्रग्विभिन्नारिवक्षो

दह दह नृसिंहासह्य वीर्याहितं मे

(१८)

चट चट चट दूरं मोहयन्भ्रामयारीन्

कड कड कड कायं ज्वालय स्फोटयस्व

जहि जहि जहि वेगं शत्रवः सानुबन्धं

दह दह नृसिंहासह्य वीर्याहितं मे

(१९)

विधिभवविबुधेशभ्रामकाग्निस्फुलिङ्ग

प्रसविविकटदंष्ट्रोज्जिह्ववक्त्र त्रिनेत्र

कल कल कल कालं पाहि मां ते सुभक्तं

दह दह नृसिंहासह्य वीर्याहितं मे

(२०)

कुरु कुरु करुणां त्वं साङ्कुरां दैत्यपोते

दिश दिश विशदां मे शाश्वतीं देवदृष्टिम्

जय जय जय मूर्तेऽनार्त जेतव्यपक्ष

दह दह नृसिंहासह्य वीर्याहितं मे

(२१)

स्तुतिरियमहितघ्नी सेविता नारसिंही

तनुरिव परिशान्तामालिनी साभितोलम्

तदखिलगुरुमाग्र्यश्रीदरूपामहद्भिः

दह दह नृसिंहासह्य वीर्याहितं मे

(२२)

लिकुचतिलकसूनुः सद्धितार्थानुसारी

नरहरिनितिमेतां शत्रुसंहारहेतुम्

अकृतसकलपापध्वंसनीं यः पठेत्तां

दह दह नृसिंहासह्य वीर्याहितं मे

UPDATED: November 8, 2015